नई दिल्ली: आपको बता दें बीजेपी ने दिल्ली में आख़िरी चुनाव 1993 में जीता था। पिछले कुछ चुनावों में भी दिल्ली में बीजेपी ने पीएम मोदी के चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत उससे कोसो दूर ही रही।
इस बीच राज्य स्तर पर उसने अपने नेतृत्व में कई बार बदलाव किया, लेकिन उसे इसका फ़ायदा नहीं मिला था।
बीजेपी ने इस बार भी मुख्यमंत्री का कोई चेहरा पेश नहीं किया था, लेकिन पार्टी पीएम मोदी के नाम पर जनता के बीच उतरी और जीत हासिल करने में कामयाब रही है। एक तरफ दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार चल रहा था, दूसरी तरफ आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12 लाख रुपए तक की सालाना कमाई को टैक्स फ्री करने का एलान कर दिया।
दिल्ली में 5 फ़रवरी को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले गए थे और इससे ठीक चार दिन पहले की इस घोषणा को मध्यम वर्ग पर बड़ा असर माना जा रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार रविंदर बावा कहती हैं, ऐसा लग तो रहा है कि एक डबल इंजन सरकार का नैरेटिव लोगों के मन में था। दूसरा, आखिरी मूवमेंट में जो ये बजट वाला एक दांव चला गया, वो शायद बीजेपी के फेवर में गया है और आम आदमी पार्टी को बहुत बड़ा नुकसान हुआ।
इससे पहले जनवरी के मध्य में केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी। दिल्ली में बड़ी संख्या में केंद्र से लेकर राज्य सरकार के कर्मचारी रहते हैं और माना जाता है कि इस घोषणा ने बीजेपी को बड़ा चुनावी फायदा पहुंचाया।
बीजेपी ने दूसरी पार्टी से आए नेताओं का भी कुशलता से इस्तेमाल किया। ऐसे कई नेताओं को उसने विधानसभा का टिकट दिया और उन लोगों ने जीत भी हासिल की।
इस सिलसिले में कांग्रेस से बीजेपी में गए तरविंदर सिंह मारवाह का नाम अहम है, जो कांग्रेस नेता रहे हैं। बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया और मारवाह ने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जंगपुरा सीट से हरा दिया। इसी तरह से पूर्व कांग्रेसी अरविंदर सिंह लवली ने गांधी नगर से और राजकुमार चौहान ने मंगोलपुरी से जीत हासिल की है।
कई विशेषज्ञ ये भी मान रहे हैं कि कांग्रेस ने भले ही चुनाव में एक भी सीट हासिल नहीं की, लेकिन उसने आम आदमी पार्टी के वोट काटे, जिससे बीजेपी को मदद मिली। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को क़रीब 7 फ़ीसदी वोट मिले जबकि साल 2020 के चुनाव में उसे पांच फ़ीसदी वोट भी नहीं मिले थे। मौजूदा चुनाव परिणाम की बात करें तो अब तक के आंकड़ों के मुताबिक़ आप और बीजेपी के बीच महज़ दो फ़ीसदी वोटों का अंतर है।