नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने शानदार जीत हासिल की है। उन्हें प्रथम वरीयता के 452 वोट प्राप्त हुए, जिसके साथ वे भारत के उपराष्ट्रपति चुने गए हैं। वहीं, विपक्ष के उम्मीदवार जस्टिस बी सुधर्शन रेड्डी को प्रथम वरीयता के 300 वोट मिले। सीपी राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना अप्रत्याशित नहीं था, क्योंकि उनके पक्ष में पहले से ही पर्याप्त संख्याबल मौजूद था। हालांकि, उनकी इस जीत ने बीजेपी की राजनीतिक रणनीति को नया आयाम दे दिया है। संभव है कि आने वाले समय में भारत की सियासत में बड़ा बदलाव देखने को मिले।
सीपी राधाकृष्णन की जीत इस बात का संकेत देती है कि बीजेपी ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए तमिलनाडु के एक प्रभावशाली नेता को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनकर दक्षिण भारत में अपनी स्थिति मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। साथ ही, पार्टी ने आरएसएस के वरिष्ठ और समर्पित कार्यकर्ता राधाकृष्णन को इस भूमिका के लिए चुना है। सीपी राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुप्पुर में हुआ था और उन्होंने व्यवसाय प्रशासन में स्नातक की डिग्री हासिल की है। अपने करियर की शुरुआत उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से की थी। बाद में वे सक्रिय राजनीति में आए और अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान 1998 और 1999 में कोयंबटूर से दो बार लोकसभा सांसद चुने गए। उस समय तमिलनाडु का राजनीतिक माहौल हिंदुत्व-केंद्रित बीजेपी के लिए अनुकूल नहीं था, क्योंकि इसे द्रविड़ विचारधारा के विपरीत माना जाता था।
2004 में सीपी राधाकृष्णन को तमिलनाडु बीजेपी की राज्य इकाई का अध्यक्ष बनाया गया। हालांकि, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2023 तक बीजेपी तमिलनाडु में नया नेतृत्व स्थापित करने की कोशिश में थी, जिसके तहत राधाकृष्णन को पहले झारखंड और बाद में महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया। राधाकृष्णन ने अपने इंटरव्यू में हमेशा समावेशी दृष्टिकोण पर जोर दिया है। संसद टीवी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि कोयंबटूर में एक बम विस्फोट हुआ था। मैं आतंकवादियों के खिलाफ था, मुसलमानों के खिलाफ नहीं। जब कुछ मुसलमान मेरे पास आए, तो मैंने पुलिस से कहा कि केवल विस्फोट से जुड़े लोगों को ही गिरफ्तार करना चाहिए। किसी को इसकी उम्मीद नहीं थी। यही कारण है कि मुझे 'कोयंबटूर का वाजपेयी' कहा जाता है।