कई प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, संवैधानिक मूल्यों की हुई जीत: वक्फ़ कानून

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने सोमवार को इस मामले में अंतरिम राहत पर फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने 22 मई को फैसला सुरक्षित रखा था। सोमवार को कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि कानून के संपूर्ण प्रावधानों पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं है, लेकिन कुछ धाराओं पर अंतरिम संरक्षण जरूरी है।


कोर्ट ने आदेश में कहा कि कलेक्टर को नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों का निर्णय करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। कलेक्टर को ऐसी शक्तियों से संबंधित प्रावधान पर रोक रहेगी। अब कलेक्टर को प्रॉपर्टी विवाद पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं होगा। हालांकि, यह रोक तब तक के लिए है, जब तक कि संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अंतिम निर्णय नहीं हो जाता। इसके अलावा, कोर्ट ने फैसला दिया कि वक्फ करने के लिए 5 साल की इस्लाम की प्रैक्टिस करने की अनिवार्यता पर रोक लगाई जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ निकायों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के प्रावधान पर भी विचार किया। कोर्ट ने आदेश दिया कि वक्फ बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल नहीं किए जाने चाहिए। फिलहाल वक्फ परिषदों में कुल 4 से अधिक गैर-मुस्लिम शामिल नहीं किए जाएंगे।


बता दें सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह उन सभी सदस्यों की जीत है, जिन्होंने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में विस्तृत असहमति नोट दर्ज कराए थे। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर आज सुप्रीम कोर्ट का आदेश न केवल उन दलों के लिए एक बड़ी जीत है जिन्होंने संसद में इस मनमाने कानून का विरोध किया था, बल्कि संयुक्त संसदीय समिति के उन सभी सदस्यों के लिए भी जिन्होंने विस्तृत असहमति पत्र प्रस्तुत किए थे, जिन्हें तब नजरअंदाज कर दिया गया था, हम इस आदेश का स्वागत न्याय, समानता और बंधुत्व के संवैधानिक मूल्यों की जीत के रूप में करते हैं।

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