नई दिल्ली: कश्मीर में 26 निर्दोष लोगों की हत्या के बाद भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर को लीड करने वाली महिला सैन्य अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर भाजपा के मंत्री विजय शाह ने विवादित बयान दिया जिस पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी और साथ ही मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। मंत्री विजय शाह के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जस्टिस अतुल श्रीधरन तथा जस्टिस अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ में फिर सुनवाई हुई । हाईकोर्ट के आदेशानुसार मंत्री विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई लेकिन एफआईआर ऐसे कंटेंट के साथ लिखी गयी है, जो कोर्ट में चुनौती देने पर निरस्त हो जाए। युगलपीठ ने आदेश में उल्लेखित कंटेंट के बारे में बताते हुए एफआईआर दुबारा दर्ज करने के लिए कहा है। इसके अलावा एफआईआर में पुलिस विवेचना की मॉनिटरिंग खुद हाईकोर्ट द्वारा की जाएगी।
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि यह उल्लेख करना आवश्यक है कि कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ, मीडिया और राष्ट्र को पाकिस्तान के खिलाफ हमारे सशस्त्र बलों द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन “सिंदूर” की प्रगति के बारे में जानकारी देने वाले सशस्त्र बलों का चेहरा थीं। मंत्री विजय शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी की, जो किसी और के लिए नहीं बल्कि उनके लिए ही हो सकती है। सार्वजनिक समारोह में मंत्री ने कर्नल सोफिया कुरैशी को पहलगाम में 26 निर्दोष भारतीयों की हत्या करने वाले आतंकवादियों की बहन बताया है। इंटरनेट पर डिजिटल सामग्री के रूप में मंत्री के भाषण उपलब्ध है। जिसमें उसने कहा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आतंकवादियों की बहन को उन्हें सुलझाने के लिए भेजने की बात कही है। उसकी यह टिप्पणी संबंधित अधिकारी के लिए नहीं बल्कि सशस्त्र बलों के लिए भी अपमानजनक और खतरनाक है।बयान प्रथम दृष्टया मुस्लिम धर्म के सदस्यों और अन्य व्यक्तियों के बीच वैमनस्य और दुश्मनी या घृणा या दुर्भावना पैदा करने की प्रवृत्ति वाला है।
युगलपीठ ने आदेश में कहा है कि बी.एन.एस. के विभिन्न प्रावधानों के अवलोकन के आधार पर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को निर्देशित किया जाता है कि मंत्री विजय शाह के विरुद्ध गुरुवार शाम तक आवश्यक तौर पर आदेशानुसार एफआईआर दर्ज करें। आदेश का पालन नहीं होने पर उनके खिलाफ अवमानना के लिए कार्यवाही करने पर विचार किया जा सकता है। इसके पहले हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए मंत्री के खिलाफ बीएनएस की धारा 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) के अंतर्गत तत्काल एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किये थे। आदेश यह भी कहा गया था कि प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह ने सोमवार को महू के अंबेडकर नगर के रायकुंडा गांव में एक सार्वजनिक समारोह में भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया है।
सशस्त्र सेना देश में मौजूद आखिरी संस्था है, जो ईमानदारी, उद्योग, अनुशासन, त्याग, निःस्वार्थता, चरित्र, सम्मान और अदम्य साहस को दर्शाती है। देश का कोई भी नागरिक खुद उन्हें पहचान सकता है। मंत्री विजय शाह ने आमसभा में कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ गटर भाषा का इस्तेमाल किया है।
युगलपीठ के आदेश से पहले सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने पीठ को बताया कि मंत्री विजय शाह के खिलाफ मानपुर थाने में एफआईआर दर्ज की गयी है। युगलपीठ ने एफआईआर का अवलोकन करने पर पाया कि आरोपी के खिलाफ किस आधार पर प्रकरण दर्ज किया गया है उसका उल्लेख नहीं किया गया। हाईकोर्ट के आदेश का अक्षरश पालन किया जायेगा। कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने FIR की भाषा,धाराएं और तरीके पर सवाल उठाए हैं। हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसी भाषा के साथ FIR लिखी गई है कि वह निरस्त हो जाए। इसमें आरोपी के अपराध का जिक्र नहीं है। आरोपी के हित को देखते हुए इसे दर्ज किया गया है। इस पर कोर्ट में महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य की मंशा पर शक ना किया जाए। कोर्ट के आदेशों का पालन किया जा रहा है।सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि एफआईआर किसने ड्राफ्ट की है? कोर्ट को महाधिवक्ता ने बताया कि एफआईआर को कोर्ट के आदेश के अनुसार चार घंटे में दर्ज किया गया है। आरोपी के हित को देखते हुए एफआईआर नहीं लिखी गई है।
इस पर कोर्ट ने सवाल उठाया कि अपराध हुआ है, इसके बारे में जानकारी नहीं है।महाधिवक्ता ने सुनवाई के दौरान कोर्ट में एफआईआर पढ़कर भी सुनाई। कोर्ट ने कहा कि ये कोई मर्डर का केस नहीं है। यहां पर किसी व्यक्ति ने क्या कहा है? इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। कोर्ट ने जो संज्ञान लिया है इसके बारे में कोई जानकारी एफआईआर में नहीं दी गई है। अपराध के बारे में कोई जानकारी नहीं है।मंत्री विजय शाह के मामले में बुधवार को हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए इसे कैंसर जैसा घातक बताया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि मंत्री शाह ने गटर छाप भाषा का इस्तेमाल किया है, जो अस्वीकार्य है। इसके बाद बुधवार देर रात महू पुलिस ने विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। गुरुवार को विजय शाह सुप्रीम कोर्ट की शरण में भी पहुंचे और एफआईआर पर रोक लगाने की मांग की, लेकिन यहां भी शाह को राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि आप संवैधानिक पद पर हैं और आपको अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। एक मंत्री होकर आप किस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।