काशी में VIP दर्शन के नाम पर ठगी करने वाले 21 फर्जी पुजारी गिरफ़्तार

नई दिल्ली: भारत के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में शुमार होने वाले काशी विश्वनाथ मंदिर में एक बड़े फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ है।वीआईपी और सुगम दर्शन के नाम पर श्रद्धालुओं से ठगी करने वाले 21 फर्जी पुजारी-पंडितों को वाराणसी पुलिस ने गिरफ़्तार किया है। दशाश्वमेध और चौक थाना क्षेत्र में हुई इस कार्रवाई ने मंदिर की व्यवस्था पर भी कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।

बता दे गिरफ्तार किए गए फर्जी पुजारी खुद को मंदिर से अधिकृत बताकर श्रद्धालुओं को ‘वीआईपी दर्शन’ या ‘सुगम दर्शन’ कराने का झांसा देते थे और इसके बदले में यह लोग श्रद्धालुओं से हजारों रुपये तक वसूलते थे। इनमें से कुछ आरोपी पारंपरिक वस्त्र और धार्मिक चिह्नों का इस्तेमाल करते थे, जिससे वह असली पुजारियों जैसे लगते थे और लोगों को आसानी से इन शक नहीं होता था।


पुलिस जाँच में यह भी सामने आया है कि ठगी के साथ-साथ आरोपी श्रद्धालुओं के साथ दुर्व्यवहार भी करते थे। कुछ मामलों में श्रद्धालुओं को धमकाया गया, जबकि कई बार जब श्रद्धालु पैसे देने से मना करते थे तो उनसे बदसलूकी की जाती थी। कई श्रद्धालुओं ने इसकी शिकायत प्रशासन से की थी, जिसके बाद यह कार्रवाई संभव हो सकी।


गौरतलब है कि काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर बनने के बाद मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है। यहाँ बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालु व्यवस्था से अनजान होते हैं, जिसका फायदा उठाकर यह फर्जी पुजारी उन्हें जाल में आसानी से फंसा लेते थे।


आरोपियों ने खुद को ‘पंडा समाज’ का सदस्य बताकर श्रद्धालुओं का विश्वास जीतने की कोशिश की और पारंपरिक धोती-कुर्ता, तिलक, रुद्राक्ष और धार्मिक मंत्रोच्चारण का सहारा लेकर यह लोग खुद को वैध पुजारी साबित करते थे। लेकिन हकीकत में इनका मंदिर प्रबंधन से कोई लेना-देना ही नहीं था।


यह घटना न केवल श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ है, बल्कि मंदिर व्यवस्था की पारदर्शिता पर भी बड़े सवाल खड़े करती है। विश्वनाथ मंदिर में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पुख्ता सुरक्षा और पारदर्शी प्रणाली की जरूरत महसूस की जा रही है। ताकि श्रद्धालुओं को ठगी से बचाया जा सके।