सुप्रीम कोर्ट से आज़म ख़ान को नहीं मिली कोई राहत

नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली। शीर्ष अदालत ने सपा नेता खान की उस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश की अदालत में लंबित 2007 के एक भड़काऊ भाषण से जुड़े मामले की सुनवाई राज्य से बाहर कराने की मांग की थी। जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और एन.के. सिंह की पीठ के समक्ष दाखिल अपनी याचिका में खान ने साक्ष्यों से छेड़छाड़ का आरोप लगाया। खान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि कथित भड़काऊ भाषण की फाइल रिकॉर्ड में वीडियो क्लिप के रूप में पेश की गई थी, लेकिन उसमें छेड़छाड़ करके उसे ऑडियो फाइल में बदल दिया गया।

वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने पीठ से कहा कि याचिकाकर्ता खान ने क्लिपिंग की प्रमाणित प्रति प्राप्त कर ली है। उन्होंने कहा कि मूल साक्ष्य एक वीडियो क्लिपिंग है। उन्होंने कहा कि यदि आपको इसे वीडियो से ऑडियो में बदलने की अनुमति है, तो उस ऑडियो पर विचार किया जाएगा और मुझे दोषी ठहराया जाएगा। सपा नेता ने आरोप लगाया कि अदालत के रिकॉर्ड बदल दिए गए हैं। इन दलीलों के साथ, सपा नेता अपने खिलाफ लंबित मामले की सुनवाई दिल्ली या उत्तर प्रदेश से बाहर कहीं भी कराने की मांग की थी। हालांकि पीठ ने उनकी इन दलीलों को दरकिनार करते हुए मामले की सुनवाई यूपी से बाहर करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।

जस्टिस सुंदरेश ने मौखिक रूप से कहा कि यह मामले को राज्य से स्थानांतरित करने का आधार नहीं हो सकता। हालांकि पीठ ने अपने आदेश में यह साफ कर दिया कि यह आदेश, याचिकाकर्ता द्वारा अदालती रिकॉर्ड में बदलाव के संबंध में उपाय खोजने में बाधा नहीं बनेगा। यूपी में न्याय मिलने की संभावना नहीं मुकदमे की सुनवाई प्रदेश से बाहर कराने की मांग को लेकर शीर्ष अदालत में दाखिल अपनी याचिका में, सपा नेता आजम खान ने कहा था कि उनके खिलाफ लंबित मुकदमा स्पष्ट रूप से अनुचित तरीके से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश में निष्पक्ष सुनवाई या न्याय मिलने की कोई संभावना नहीं है। याचिका में कहा गया कि गवाहों को धमकाने और दबाव डालने जैसे तरीकों का उपयोग करके उनके पूर्वाग्रह में मुकदमे को प्रभावित करने के कई प्रयास किए गए थे। अदालती रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की गई आजम खान ने यह भी दावा किया कि अदालती अदालती रिकॉर्ड के साथ अवैध और दुर्भावनापूर्ण तरीके से छेड़छाड़ की गई है। याचिका में कहा गया कि मामले के जांच अधिकारी उनकी राजनीतिक संबद्धता के कारण उन्हें परेशान कर रहे हैं। पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें आजम खान को भाषण मामले में अपनी आवाज का नमूना देने का निर्देश दिया गया था, ताकि अगस्त 2007 में रामपुर में एक जनसभा के दौरान दिए गए उनके सीडी-रिकॉर्डेड भाषण से तुलना की जा सके।

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