कोर्ट ने कपिल मिश्रा के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने के दिए आदेश

नई दिल्ली: दिल्ली का कानून मंत्री बने हुए अभी कुछ ही हफ्ते हुए हैं और भाजपा के कपिल मिश्रा के लिए मुसीबतें खड़ी हो गई हैं। दिल्ली की एक जिला न्यायालय राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के मामले में मंत्री कपिल मिश्रा के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कर आगे की जाँच करने का निर्देश दिया है। हालांकि दिल्ली पुलिस की ओर से कोर्ट में कपिल मिश्रा के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग का विरोध किया जा चुका है।


एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने शिकायतकर्ता यमुना विहार निवासी मोहम्मद इलियास की अर्जी स्वीकार कर ली। उन्होंने मिश्रा के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने की माँग की थी। दिल्ली दंगों में कपिल मिश्रा पर अभी तक एक भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी। एफआईआर दर्ज करने का अदालत का यह पहला निर्देश है।


हालांकि दिल्ली पुलिस ने दंगों में मिश्रा की कथित भूमिका को खारिज कर दिया था। लेकिन मोहम्मद इलियास ने कपिल मिश्रा के अलावा दयालपुर के तत्कालीन थाना प्रभारी और 5 अन्य के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने की माँग की थी। इन 5 लोगों में बीजेपी के विधायक मोहन सिंह बिष्ट, पूर्व विधायक जगदीश प्रधान और सांसद सतपाल शामिल हैं।


अगस्त 2024 में दायर की गई इस याचिका में मोहम्मद इलियास ने दावा किया था कि 23 फरवरी 2020 को उन्होंने कपिल मिश्रा और उनके दोस्तों को कर्दमपुरी में एक सड़क को ब्लॉक करते देखा था। उस समय तत्कालीन उत्तर पूर्व डिप्टी पुलिस कमिश्नर और दिल्ली पुलिस के अन्य अधिकारी भी उनके साथ खड़े थे। याचिका में कहा गया है कि इस दौरान कपिल मिश्रा ने प्रदर्शनकारियों को जगह खाली करने या परिणाम भुगतने की सरेआम धमकी भी दी थी।

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