नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली के प्रियदर्शनी विहार में डीडीए ने अवैध लक्ष्मी नारायण मंदिर के एक हिस्से को दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर तोड़ा। मंदिर को बचाने के लिए महिलाओं ने मंदिर के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ किया। दिल्ली सरकार, एलजी और डीडीए के खिलाफ नारेबाजी भी की। विरोध को देखते हुए पुलिस व अर्धसैनिक बल के जवान तैनात रहे। स्थानीय लोगों व पुलिस के बीच काफी नोकझोंक भी हुई। विरोध के चलते तीन घंटे की देरी से यह कार्रवाई शुरू हुई। यह मंदिर पिछले दस वर्षों से सील था।
डीडीए के अधिकारी से पूछे जाने पर उन्होंने कहा इसके बाकी हिस्से को तोड़ने की कार्रवाई जारी रहेगी। मंदिर जाने के लिए तीन रास्ते हैं। दो रास्तों पर स्थानीय लोगों ने वाहनों को ऐसा खड़ा कर दिया कि जिससे डीडीए का बुलडोजर मंदिर तक पहुंच न सके। वहीं, मौके पर चार बुलडोजर मंगवाए गए थे और तीसरे गेट से रास्ता संकरा है। एक ही बुलडोजर को मौके पर ले जाकर मंदिर का भवन तोड़ा गया। मंदिर तोड़े जाने की सूचना मिलते ही ही हिंदूवादी नेता मौके पर आ गए।
स्थानीय लोगों ने बताया कि प्रियदर्शनी विहार मे करीब 45 साल पहले यह मंदिर बनाया गया था। लोगों ने बताया कि यहां के स्थानीय निवासी वकील जे.के.मित्तल मंदिर के खिलाफ कोर्ट गए थे। वर्ष 2016 में कोर्ट के आदेश पर मंदिर को सील कर दिया गया था। डीडीए ने कहा कि जिस जगह पर अवैध मंदिर बनाया हुआ है वह नर्सरी स्कूल बनाने के लिए ज़मीन दी गई थी और यह जमीन 926 वर्गमीटर है। कोर्ट के निर्देश पर कार्रवाई की जा रही है और अभी कार्रवाई जारी रहेगी। डीडीए ने यह भी कहा कि कुछ लोग इस मामले को धार्मिक और राजनीतिक रंग दे रहे हैं जो की सरासर गलत है। स्कूल की जगह पर आप मंदिर नहीं बना सकते हम कोर्ट के आदेश पर अपना काम कर रहे है।