डिजिटल डेस्क: डिजिटल अरेस्ट का शिकार ज्यादातर वो लोग हो रहे हैं जो बुजुर्ग हैं और आमतौर पर कानून और व्यवस्था का सम्मान करने वाले हैं। ये अभी भी मानते हैं कि नियम कायदे, सरकारी दस्तावेज और आधिकारिक संस्थाएं फर्जी नहीं हो सकतीं। साइबर अपराधों में नवीनतम तरीके डिजिटल अरेस्ट को साइबर ठग अब पढ़े लिखे लोगों को भी अपने भावनात्मक और फर्जी आधिकारिक जाल में फंसाकर उनकी पसीने की गाढ़ी कमाई को एक झटके में लूट रहे हैं। दुर्भाग्य से इसी सकारात्मक सोच का नाजायज फायदा साइबर अपराधी धड़ल्ले से उठा रहे हैं। इसका एक कारण भारत में साइबर अपराध को रोकने तथा निजी डाटा सुरक्षा कानूनों का सख्त न होना है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल जनवरी से अप्रैल तक भारतीयों को "डिजिटल अरेस्ट" के जरिए की गई धोखाधड़ी से 120.30 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस साइबर फ्रॉड के आका दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों म्यांमार, लाओस और कंबोडिया में बैठे हैं। लेकिन इन पर कठोर अंकुश के लिए हम कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं। ऑनलाइन अपराधों की निगरानी करने वाला संस्थान भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के अनुसार डिजिटल अरेस्ट अब डिजिटल धोखाधड़ी का एक आम तरीका बन गया है। I4C के अनुसार, साइबर घोटाले चार प्रकार के होते हैं - डिजिटल अरेस्ट, ट्रेडिंग घोटाला, निवेश घोटाला (कार्य आधारित) और रोमांस/डेटिंग घोटाला।इनमें भी सबसे नया और मनोवैज्ञानिक भयादोहन का तरीका डिजिटल अरेस्ट है। साइबर अपराधी आपकी कोई निजी जानकारी हासिल कर या कोई झूठे मामले का जिक्र कर आपको इस बुरी तरह से ब्लैकमेल करते हैं कि आप अपनी सहज विवेक शक्ति भी भुला बैठते हैं। मनुष्य के मन पर कब्जा इस अपराध का सबसे प्रबल पक्ष है। डिजिटल अरेस्ट करने के लिए आपको अचानक ही एक फोन कॉल आएगा। जिसमें कॉलर बताएगा कि आपने अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या अन्य प्रतिबंधित पार्सल भेजा था या आपको यह मिला है यानी आपने इसे रिसीव किया है। कई बार आपको टारगेट करने के लिए यह फोन कॉल आपके रिश्तेदारों या दोस्तों को भी जा सकती है, जिन्हें बताया जाएगा कि आपके दोस्त या आपके रिश्तेदार ऐसे अपराध में शामिल हैं। आपको जैसे ही दोस्त या रिश्तेदार से यह सूचना मिलेगी, आप घबरा जायेंगे। एक बार टारगेट सेट करने के बाद अपराधी आपको स्काइप या किसी अन्य वीडियो कॉलिंग सिस्टम से आपसे संपर्क करेंगे। वो खुद को कानूनी अधिकारी, पुलिस या किसी जांच एजेंसी के अधिकारी के रूप में पेश करेंगे। सरकारी वर्दी में भी दिखेंगे। वीडियो कॉल में आप उन्हें किसी फर्जी पुलिस स्टेशन या सरकारी कार्यालय में बैठे दिखेंगे ताकि आपको विश्वास हो जाए। आपसे वो "समझौता" करने या "मामले को बंद करने" के लिए पैसे मांगेंगे, लेकिन पैसे तभी मांगे जाएंगे, जब आप मजबूर हो चुके होंगे।