नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में हापुड़ से एक सनसनी खेज़ मामला सामने आया है जहाँ एक यूनिवर्सिटी लोगों को ख़ुलेआम फ़र्ज़ी डिग्रीयाँ बाट रही है। इस मामले में अब एसटीएफ की जाँच का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। एसटीएफ अब मोनाड यूनिवर्सिटी के पहले के डायरेक्टर से भी पूछताछ करने की तैयारी है। इन सभी की सूची तैयार कर ली गई है।
दरअसल, फर्जी डिग्री बनाने-बेचने का धंधा 2018 से चलने की जानकारी एसटीएफ जाँच टीम को मिली है। ऐसे में टीम ने पहले के डायरेक्टर के नाम जुटाने आरंभ कर दिए हैं। इसके लिए पुलिस के साथ ही एसटीएफ की दो टीमों को भी लगाई गई है। वहीं एसटीएफ की कार्रवाई की भनक लगते ही मोनाड के पहले के मालिक व जिम्मेदार पदों पर रहे कर्मचारी भूमिगत हो गए हैं। उनको कार्रवाई की जद में आने का डर सता रहा है। मोनाड यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़ा का दायरा अब बढ़ता ही जा रहा है। एक ओर जहाँ एक लाख से ज्यादा फर्जी डिग्री-मार्कशीट छापने का मामला सामने आ चुका है, वहीं नौ राज्यों में प्रमुखता से डिग्री की बिक्री होने की जानकारी पुलिस-एसटीएफ को मिल चुकी है।
इस मामले में यूनिवर्सिटी के मालिक पिता-पुत्र सहित 11 लोगों को जेल भेजा जा चुका है। एसटीएफ की जाँच में सामने आया है कि यह फर्जी डिग्री बनाने का खेल 2018 से चल रहा था। मोनाड के मौजूदा मालिक विजेंद्र हुड्डा ने इसको 2022 में खरीदा था। उससे पहले भी यहां से फर्जी मार्कशीट-डिग्री की बिक्री की जा रही थी। यह धंधा दलालों के माध्यम से संचालित किया जा रहा था।
एसटीएफ और पुलिस की जांच में सामने आया है कि इस फर्जीवाड़े में मोनाड के पहले के मालिक व कर्मचारी भी शामिल रहे थे। उनके से दर्जनभर लोग हापुड़ में ही रह रहे हैं। एसटीएफ ने उनकी कुंडली खंगालनी आरंभ कर दी है। पुलिस और एसटीएफ की दो टीम उनकी गोपनीय जाँच में लगी हैं। प्रारंभिक जाँच में उनकी संलिप्तता सामने आई है और यह लोग पहले भी कई सौ करोड़ के स्कालरशिप घोटाले में भी फस चुके हैं। उस मामले में भी यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर और कर्मचारियों को जेल जाना पड़ा था। अधिकारियों का मानना है कि फर्जी कागजात बनाकर बेचने का यह धंधा तभी से चल रहा है। एसटीएफ की इस जाँच की भनक मोनाड के पूर्व मालिकों और कर्मचारियों को भी लग गई है। माना यह जा रहा है कि इनकी संलिप्तता पाए जाने पर इनमें से कई के नाम जाँच में खोले जा सकते हैं।
एक लाख दो-एलएलएम की फ़र्ज़ी डिग्री लो, मोनाड यूनिवर्सिटी में खुलेआम फर्जी डिग्री का ऐसा खुला खेल चल रहा था मानो यह परचून की दुकान हो। शहर के एक नामचीन अधिवक्ता ने बताया कि वह एलएलबी पहले मेरठ से कर चुके थे फिर पिछले साल उनको एलएलएम की जरूरत महसूस हुई। इस पर वह मोनाड में पहुंच गए। वहां पर विधि संकाय में जाकर जानकारी प्राप्त की। उनको मोनाड प्रबंधन के एक बड़े पदाधिकारी के पास भेज दिया गया। वहां पर उनसे एक लाख रुपये की मांग की गई।
उनको बताया कि आपको एक लाख रुपया देने हैं और दो दिन में एलएलएम की डिग्री मिल जाएगी। साथ ही आरटीआई से जानकारी ले लेना या कहीं पर भी चेक करा लेना कोई भी पकड़ नहीं पाएगा। इसी प्रकार फार्मासिस्ट की डिग्री दो लाख में और पीएचडी की तीन लाख में बेची गईं। इस यूनिवर्सिटी में डिग्री की बिक्री का खुला खेल बिना किसी ख़ौफ़ के इस प्रकार किया जाता था मानो आप यूनिवर्सिटी में न आकर कोई कपड़ा खरीदने आए हों। अब यह देखना दिलचस्प होगा की एसटीएफ की जाँच में किन-किन लोगों के नाम सामने आते है और क्या जिन लोगों को फ़र्ज़ी डिग्रियाँ दी गई है उन सबका निरस्तीकरण किया जाएगा या नहीं।